Kaal Bhairav Ashtami 2024: भैरव अष्‍टमी पर जानें उनके 8 स्‍वरूपों की पूजा करने से कौन सी मनोकामना होगी पूरी

Kaal Bhairav Ashtami Puja Benefits: आज भैरव अष्टमी है और इस दिन भगवान भैरव, जो शिव के रूप हैं, की पूजा होती है। भैरव के आठ मुख्य रूप हैं और हर रूप की पूजा से अलग फल मिलता है। भैरव अष्टमी भगवान भैरव को समर्पित है। यह दिन भगवान शिव के भक्तों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। मान्यता है कि भैरव भगवान अपने भक्तों की रक्षा करते हैं और उनकी मन की मुरादें पूरी करते हैं। भगवान भैरव के आठ मुख्य रूप हैं और हर रूप की पूजा का अलग महत्व है। भगवान भैरव को कई रूपों में पूजा जाता है। आइए हम उनके 8 प्रमुख रूपों के बारे में विस्‍तार से बताते हैं और साथ ही जानते हैं कि भैरव जयंती पर किस रूप की पूजा करने से आपकी कौन सी मुराद पूरी करेंगे भगवान भैरव।

bhairav ashtami 2024
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Bhairav Kaun Hai : कालभैरव अष्टमी का पर्व मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। मान्यता है कि इसी दिन भगवान शिव ने कालभैरव का अवतार लिया था। इसलिए इस पर्व को कालभैरव जयंती को रूप में मनाया जाता है। भगवान कालभैरव को तंत्र का देवता माना गया है। तंत्र शास्त्र के अनुसार,किसी भी सिद्धि के लिए भैरव की पूजा अनिवार्य है। इनकी कृपा के बिना तंत्र साधना अधूरी रहती है। इनके 52 रूप माने जाते हैं। इनमें से 8 प्रमुख रूप और उनकी पूजा करने के लाभ के बारे में हम आपको बता रहे हैं।

कपाल भैरव
सबसे पहले कपाल भैरव हैं, जिनका शरीर चमकीला है और सवारी हाथी है। उनके हाथों में त्रिशूल, तलवार, शस्त्र और पात्र हैं। कपाल भैरव की पूजा से कानूनी मामले सुलझते हैं और रुके हुए काम पूरे होते हैं।

क्रोध भैरव
क्रोध भैरव गहरे नीले रंग के हैं और उनकी तीन आंखें हैं। गरुण की सवारी करने वाले क्रोध भैरव दक्षिण-पश्चिम दिशा के स्वामी हैं। उनकी पूजा से परेशानियों और बुरे समय का सामना करने की शक्ति मिलती है।

असितांग भैरव
असितांग भैरव के गले में सफेद कपालों की माला है और हाथ में एक कपाल है। हंस की सवारी करने वाले असितांग भैरव की तीन आंखें हैं। उनकी पूजा से कलात्मक क्षमता बढ़ती है।

चंद भैरव
चंद भैरव की तीन आंखें हैं और वे मोर की सवारी करते हैं। उनके हाथों में तलवार, पात्र, तीर और धनुष हैं। चंद भैरव की पूजा से शत्रुओं पर विजय मिलती है और हर परिस्थिति का सामना करने की क्षमता आती है।

गुरु भैरव
गुरु भैरव के हाथ में कपाल, कुल्हाड़ी और तलवार हैं। यह उनका नग्न रूप है और बैल उनकी सवारी है। उनके शरीर पर सांप लिपटा हुआ है। गुरु भैरव की पूजा से अच्छी विद्या और ज्ञान मिलता है।

संहार भैरव
संहार भैरव का रूप भी नग्न है, उनके सिर पर एक कपाल है। उनकी तीन आंखें हैं और कुत्ता उनका वाहन है। उनकी आठ भुजाएँ हैं और शरीर पर सांप लिपटा है। उनकी पूजा से सारे पाप नष्ट हो जाते हैं।

उन्मत भैरव
उन्मत भैरव शांत स्वभाव का प्रतीक हैं। उनकी पूजा से नकारात्मकता और बुराइयाँ दूर होती हैं। उनका रूप शांत और सुखद है। उनका रंग हल्का पीला है और उनका वाहन घोड़ा है।

भीषण भैरवभीषण भैरव की पूजा से बुरी आत्माओं और भूतों से मुक्ति मिलती है। उनके हाथों में कमल, त्रिशूल, तलवार और पात्र हैं। शेर उनका वाहन है।

 कालभैरव जयंती हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है। यह पूरी तरह से भगवान कालभैरव की पूजा के लिए समर्पित है, जिन्हें भगवान शिव का उग्र स्वरूप माना जाता है। इस शुभ दिन पर लोग उपवास रखते हैं और विभिन्न पूजा अनुष्ठान का पालन करते हैं। हर साल काल भैरव जयंती मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। इस साल काल भैरव जयंती 22 नवंबर 2024 यानी आज मनाई जा रही है। ऐसा कहा जाता कि इस दिन (Kaal Bhairav Jayanti 2024) सच्ची श्रद्धा के साथ पूजा करके जीवन के सभी कष्टों को आसानी से दूर किया जा सकता है।

अगर आप चाहते हैं, कि आपकी पूजा में किसी भी प्रकार का विघ्न न पड़े, तो आपको इस दिन की पूजा की सही विधि जान लेना चाहिए, जो इस प्रकार है।

काल भैरव जी भोग (Kaal Bhairav Ji Bhog)

  • धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भैरव बाबा को हलवा, दूध, काला चना, मीठी रोटी और मदिरा का भोग लगाना शुभ माना जाता है।

काल भैरव जी प्रिय पुष्प (Kaal Bhairav Ji Priya Pushpa)

  • भैरव बाबा को चमेली के फूल अति प्रिय हैं।

काल भैरव जयंती तिथि और समय (Kaal Bhairav Jayanti 2024 Shubh Muhurat)

वैदिक पंचांग (Panchang) के अनुसार, काल भैरव जयंती हर साल मार्गशीर्ष या अगहन महीने (Aghan 2024) के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। अष्टमी तिथि की शुरुआत 22 नवंबर 2024 को शाम 6 बजकर 7 मिनट पर हो चुकी है। वहीं, इस तिथि का समापन कल यानी 23 नवंबर को रात के 7 बजकर 56 मिनट पर होगा। पंचांग को देखते हुए काल भैरव जयंती इस साल 22 नवंबर यानी आज के दिन मनाई जा रही है।

भगवान काल भैरव की पूजा विधि (Kaal Bhairav Jayanti 2024 Ki Puja Vidhi)

इस दिन सुबह सबसे पहले स्नान करें। भगवान शिव (Lord Shiva) के उग्र अवतार यानी भैरव बाबा का मन ही मन ध्यान करें। भगवान सूर्य देव को जल चढ़ाएं। पूजा कक्ष को साफ करें। व्रत का संकल्प लें। भगवान काल भैरव की एक प्रतिमा स्थापित करें। उन्हें चंदन का तिलक लगाएं। फूल-माला अर्पित करें। मीठी रोटी और हलवे का भोग लगाएं। कालभैरव अष्टकम और मंत्रों का पाठ करें। काल भैरव जी की कथा का पाठ अवश्य करें। आरती से पूजा को पूरी करें। अंत में शंखनाद करें। भगवान कालभैरव का आशीर्वाद लें। शाम के समय भी विधिवत काल भैरव जी की पूजा करें।

मंदिर जाएं और चौमुखी दीपक जलाएं। जरूरतमंदों को भोजन खिलाएं और क्षमता अनुसार धन का दान करें। तामसिक चीजों से परहेज करें। कुत्तों को मीठी रोटी खिलाएं। ऐसा करने से भैरव बाबा की कृपा प्राप्त होगी।

भगवान काल भैरव के मंत्र (Kaal Bhairav Jayanti 2024 Mantra)

  • ॐ काल भैरवाय नमः।।
  • ॐ ह्रीं बं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरूकुरू बटुकाय ह्रीं।।
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